السبت، 15 أغسطس 2009

हम रमज़ान का स्वागत कैसे करें और उस से कैसे लाभान्वित हों?

मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।

हम रमज़ान का स्वागत कैसे करें और उस से कैसे लाभान्वित हों?

हर प्रकार की प्रशंसा अल्लाह के लिए है जिसने हमें रमज़ान जैसा शुभ अवसर प्रदान किया, तथा सदैव अल्लाह की कृपा व शान्ति अवतरित हो अन्तिम पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर जिन्हों ने सर्वश्रेष्ठ ढंग से रमज़ान का रोज़ा रखा और क़ियामुल्लैल किया।

इस्लामी भाईयो ! हम में से बहुत से लोग समय के बीतने और वर्ष के पूरा होने पर बहुत प्रसन्न होते हैं और अत्यन्त हर्ष व उल्लास का प्रदर्शन करते हैं, किन्तु इन बेचारों को मालूम नहीं (अथवा एहसास नहीं) कि एक दिन के बीतने से उनके जीवन का एक दिन कम हो जाता है और वो अपनी मृत्यु से एक दिन और निकट हो जाते हैं। कहने वाले ने कितना ठीक कहा है:

मनुष्य रात-दिन के बीतने पर बहुत प्रसन्न होता है, जबकि वास्तव में उन (रात-दिन) का समाप्त होना, स्वयं उस (मनुष्य) की समाप्ति है।

अत: मनुष्य को चाहिए कि उसे इस बात का गहरा एहसास हो और उसे जीवन का एक पल भी व्यर्थ में नष्ट नहीं करना चाहिए। विशेष कर नेकियों और भलाईयों के ऋतु और शुभ अवसर का व्यापक लाभ उठाना चाहिए। ताकि भूतकाल में जो कमी रह गई है उसकी आपूर्ति हो सके, तथा भविष्य के लिए कोष एकत्र हो।

अल्लाह तआला की इस समुदाय पर महान कृपा है कि उस ने हमें अनेक ऐसे अवसर प्रदान किए हैं जिन से लाभान्वित हो कर हम अल्लाह की क्षमा, दया, उपहार और उसकी निकटता के पात्र बन सकते हैं। उन्हीं में से एक महान और शुभ अवसर रमज़ान का महीना है।

इस्लामी भाईयो! शीघ्र ही हमारे ऊपर रमज़ान के महीने का चाँद उगने वाला है। क्या आप जानते हैं कि रमज़ान का महीना क्या है?

•- अल्लाह तआला ने जब से आकाश और धरती की रचना की है, उसके निकट महीनों की संख्या 12 (बारह) है और उन में से नववाँ (9) महीना रमज़ान का है।

•- रमज़ान ही का वह महीना है जिस में अल्लाह तआला ने सर्व संसार के मार्गदर्शन के लिए अपनी अन्तिम पुस्तक कुर्आन मजीद को अपने अन्तिम सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित करने का आरंभ किया।

•- रमज़ान ही का वह महीना है जिस में अल्लाह तआला ने संसार वालों पर दया करते हुए अपने खलील (मित्र), दूत और अन्तिम सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सर्व संसार के लिए एकमात्र संदेश्वाहक और पथ प्रदर्शक के रूप में नियुक्त किया।

•- रमज़ान का ही वह महीना है जिस की पहली रात ही से स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं, नरक के द्वार बन्द कर दिए जाते हैं और शैतान जकड़ दिए जाते हैं।

•- रमज़ान ही वह महीना है जिस में अल्लाह तआला ने दोषियों और पापियों के लिए प्रायश्चित का बढ़िया अवसर प्रदान किया है।

•- रमज़ान ही वह महीना है जिस में अल्लाह तआला ने उम्रा करने को हज्ज के समान घोषित किया है, और केवल यही नहीं बल्कि इसे पैग़म्गर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संग हज्ज करने के समान बताया है।

•- रमज़ान ही वह महीना है जिस में अल्लाह तआला ने एक रात ऐसी रखी है जिस में इबादत करना हज़ार महीने (अर्थात: 83.33 वर्ष) की इबादत से बेहतर है।

•- रमज़ान ही वह महीना है जिसे अल्लाह के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़सम खाकर मुसलमानों के लिए सब से श्रेष्ठ और मुनाफिक़ों के लिए सब से बुरा महीना घोषित किया है।

सारांश यह कि रमज़ान का महीना भलाईयों, नेकियों, बरकतों, रहमतों, दुआओं की क़बूलियत, अज्र व सवाब में अधिकता, मग्फिरत, जहन्नम से आज़ादी... का महीना है। किन्तु प्रश्न यह है कि इस महीने का किस प्रकार स्वागत किया जाए? यह आदरणीय अतिथि जिस का 11 महीने की प्रतीक्षा के बाद हमारे आँगन में आगमन हुआ है, इस के साथ हमारा कैसा व्यवहार होना चाहि?

यह एक निराशाजनक वास्तविकता है कि हम ने इस अतिथि के साथ सदैव दुर्व्यवहार किया है। हर वर्ष यह मेहमान ऐसे अनेक उपहार ले कर आता है जिनकी प्रत्येक मनुष्य और विशेष कर मुसलमानों को कड़ी आवश्यकता होती है। किन्तु कितने ऐसे मुसलमान हैं जो उसके समस्त उपहारों को स्वीकार भी नहीं करते, जो मन में आया ले लिया और शेष को ठुकरा दिया।

क्या आप जानते हैं कि हमारे पूर्वज का इस महीने के साथ कैसा व्यवहार होता था? वो लोग इस महीने को पाने के लिए छ: महीना तक अल्लाह तआला से दुआ करते थे। जब यह महीना पा जाते तो उचित ढंग से इसका स्वागत करते। और जब यह महीना उन से प्रस्थान कर जाता तो छ: महीना तक अल्लाह तआला से ये दुआ करते कि उन्हों ने इस महीने में जो नेकियाँ की हैं उन्हें क़बूल करे ... आप ने देखा हमारे असलाफ का क्या हाल था .... और हमारा हाल क्या हो गया है। अल्लाह से दुआ है कि हमारे हालात में सुधार पैदा करे।

मुसलमानों को चाहिए कि नेकियों के अवसर से लाभान्वित होने में कोताही और लापरवाही से काम न लें। बल्कि उत्साह और प्रतियोगिता की भावना के साथ इस से अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए। हमें रमज़ान जैसे महान और शुभ महीना का स्वागत:

1. शुद्ध और सच्ची तौबा के साथ करना खहिए, पिछले गुनाहों, दोषों और बुराईयों को तुरन्त त्याग कर उन पर लज्जित होना चाहिए, भविष्य में उनकी ओर पुन: न लौटने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए और अत्याचार से तौबा कर के लोगों के हुक़ूक़ उन्हें लौटा देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि आदमी नमाज़ नहीं पढ़ता था, तो उसे नमाज़ की पाबन्दी करने का संकल्प करना चाहिए, या ज़कात और रोज़ा में कोताही करता था तो पुन: ऐसा न करने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए, या इसी तरह अगर सूदी कारोबार करता था, तो तुरन्त उस से छुटकारा प्राप्त करके पुन: उस से दूर रहने का पक्का संकल्प करना चाहिए। इसी प्रकार यदि दूसरों के हुक़ूक़ को हड़प कर रखा है, तो उस से छुटकारा हासिल कर लेना चाहिए ...

2. ईमान, शान्ति और स्वास्थ्य की अवस्था में इस महीने को पाना, अल्लाह तआला का बहुत बड़ा उपकार और उपहार है। अत: इस पर अल्लाह की प्रशंसा और गुण-गान करनी चाहिए। जबकि कल आप के साथ कितने ऐसे लोग थे जो इस महीने को पाने की आशा रखते थे, किन्तु इस के आने से पहले क़ब्र की तारीकियों में चले गए।

3. हमें रमज़ान के आगमन पर प्रसन्न होना चाहिए, जैसाकि हमारे पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने साथियों (सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम) को रमज़ान के आगमन की शुभ सूचना देते और इस महीने की विशेषता और महत्ता से अवगत कराते थे। इसी प्रकार हमारे अस्लाफ (पूर्वज) इस महीने के आगमन पर हर्षित होते थे और इसे विशेष महत्त्व देते थे। इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम इस महीने के आगमन को बोझ समझें और अपने दिल में इस के प्रति घुटन महसूस करें।

4. हमें शुरू रमज़ान ही से पूरे महीने का रोज़ा रखने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए, (जिस का एक लाभ यह होगा कि यदि रमज़ान पूरा होने से पूर्व मृत्यु हो जाती है तो हमें नीयत के कारणवश पूरे महीने का सवाब मिलेगा।) और इस महीने की घड़ियों और क्षणों से अधिकाधिक लाभान्वित होने के लिए पूर्व योजना बनाना चाहिए।

5. रमज़ान के फज़ाइल व बरकात के बारे में जानकारी प्राप्त करके अपने तन, मन और आत्मा को इस महीने से लाभान्वित होने के लिए तैयार करना चाहिये, ताकि हम पिछले सालों से बेहतर रूप में इस महीने को बिताएं। तथा हमारे मन में यह आशय होना चाहिए कि हो सकता है यह हमारा अन्ति रमज़ान हो! यदि हम ने इस से भर पूर लाभ नहीं उठाया तो हमें पछतावे के सिवाय कुछ हाथ नहीं आए गा।

6. रमज़ान के रोज़े के अह्काम व मसाइल की शुद्ध और सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहिये। क्योंकि मुसलमान पर अनिवार्य है कि वह अल्लाह तआला की उपासना ज्ञान और समझ-बूझ के आधार पर करे। अल्लाह तआला ने बन्दों पर जो अह्काम अनिवार्य किए हैं उन के विषय में अज्ञानता का बहाना मान्य नहीं है। इसलिए रोज़ा से संबंधित अहकाम की पर्याप्त जानकारी प्राप्त करें, ताकि आप का रोज़ा अल्लाह के यहाँ स्वीकृत (मक़्बूल) और मान्य हो।

7. अल्लाह तआला ने जिस उद्देश्य के लिए रोज़े को अनिवार्य किया है, उसकी प्राप्ति अत्यन्त आवश्यक है। इसलिए हमें अपने रोज़े की उन चीज़ो से सुरक्षा करनी चाहिए जो उसके अज्र व सवाब को नष्ट कर देने वाली हैं। वर्ना यदि आप का रोज़ा रद्द कर दिया जाए, तो आप के भूखे-प्यासे रहने और कामवासना से बचाव करने का क्या लाभ ? यदि आप का क़ियामुल्लैल (तरावीह) आप के मुँह पर मार दिया जाए, तो आप के रूकूअ व सज्दे और अपने आप को थकाने का क्या फायदा ? जबकि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि: ``बहुत से रोज़ेदार ऐसे हैं जिन्हें उनके रोजे़ से केवल भूख प्राप्त होता है, और बहुत से क़ियामुल्लैल करने वालों को उनके क़ियाम से केवल रतजगाई प्राप्त होती है।´´ (हाकिम, नसाई, अहमद) तथा सहीह बुखारी में है कि: ``जो व्यक्ति झूठ बात कहना, झूठ पर अमल करना और मूर्खता को त्याग न करे तो अल्लाह तआला को इस बात की कोई आवश्यकता नहीं है कि वह अपना खाना पानी बन्द कर दे।´´ इसलिए रोज़ेदार को चाहिए कि अपनी आँख, कान, ज़ुबान, दिल और शरीर के अन्य अंगों को अल्लाह की अवज्ञा और हराम चीज़ों से सुरक्षित रखे, केवल खान-पान और कामवासना से रूकने से रोज़े का उद्देश्य (अर्थात अल्लाह तआला का तक्वा और संयम) प्राप्त नहीं हो सकता।

8. हम अपने रोज़े के दिनों को अन्य दिनों के समान न बनाएं। ऐसा न हो कि हम रोज़ा खोलने के बाद खेल-कूद, गप-शप और निरर्थक बातों में लिप्त हो जाएं। खेल-कूद के लिए पूरा वर्ष है, लेकिन रमज़ान की अमूल्य घड़ियाँ यदि हम ने व्यर्थ में नष्ट कर दीं तो हम से बड़ा बद्-नसीब, अभागा और निकम्मा कोई नहीं। जो आदमी रमज़ान में अल्लाह की रहमत का पात्र बन गया वही वास्तव में मर्हूम (जिस पर दया की गई हो) है, और जो इस महीने में अल्लाह की रहमत से वंचित रह गया वह वास्तव में मह्रूम है। जो इस महीने में परलोक के लिए तोशा न एकत्र कर सके, वह मलामत के योग्य है। और ऐसे ही आदमी के बारे में फरिश्तों के सरदार जिब्रील अलैहिस्सलाम ने दया के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा कि: ``जो आदमी रमज़ान को पाए और अपने आप को अल्लाह की मग़्फिरत का पात्र न बना सके, तो ऐसे आदमी को अल्लाह अपनी रहमत से वंचित करे´´ आप इस पर आमीन कहिए। पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस पर आमीन कही। इसलिए आवश्यक है कि हम इस महीने का पूरा लाभ उठाएं, इसे साल के अन्य महीनों के समान ही न बिता दें। तथा इस महीने का वास्तविक प्रभाव हमारे आचरण, लोगों के साथ हमारे व्यवहार और रहन-सहन पर अवश्य रूप से प्रतीक होना चाहिए।

संछिप्त यह कि रमज़ान के महीने की महत्ता और उसकी विशेषताओं उदाहरणत: जन्नत के द्वार का खोल दिया जाना, जहन्नम के द्वार का बन्द कर दिया जाना, शैतानों का जकड़ दिया जाना, गुनाहों की माफी, जहन्नम से आज़ादी, फरिश्तों का रोज़ेदार के लिए मग़्फिरत की दुआ करना, रोज़े का असीम अज्र व सवाब, रोज़ेदार के मुँह की बू का अल्लाह के निकट कस्तूरी से अधिक पसन्दीदा होना, शबे-क़द्र और उसका हज़ार महीनों से बेहतर होना... इन सभी तत्वों को अपनी दृष्टि के सामने रखें, तो आप के दिल में रमज़ान के महीने के प्रति उत्साह और शौक पैदा होगा और आप श्रद्धा पूर्वक इस महीने से लाभान्वित होने की चेष्टा कर सकें गे।

अल्लाह तआला से प्रार्थना है कि हमें इस महीने के सियाम व क़ियाम (रोज़े रखने और तरावीह पढ़ने) पर हमारी मदद करे, और इस से भर-पूर लाभ उठाने की तौफीक़ प्रदान करे। नि:सन्देह वही इस पर सहायक है। (लेखः अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह)