الأربعاء، 8 سبتمبر 2010

सामर्थ्य के बावजूद जक़ातुल फित्र न निकालने का हुक्म

सामर्थ्य के बावजूद जक़ातुल फित्र न निकालने का हुक्म

प्रश्नः

उस आदमी का क्या हुक्म है जिसके पास ज़कातुल फित्र निकालने का सामर्थ्य (ताक़त) है फिर भी वह ज़कात न निकाले?

उत्तरः

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।

जिस व्यक्ति ने ज़कातुल फित्र नहीं निकाली है उस पर अनिवार्य है कि वह अल्लाह तआला से तौबा करे और उस से क्षमा याचना करे, क्योंकि वह उसे रोकने के कारण पापी और दोषी है। तथा वह उसे निकाल कर उसके हक़दारों तक पहुँचाये। और ईद की नमाज़ के बाद उसे सामान्य सदक़ों में से एक सदका़ समझा जायेगा।

और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला (शक्ति का स्रोत) है।

इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति।

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